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यज्ञ के मनोसंवेदनात्मक आयामों का अध्ययन

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  • Additional Information
    • Publication Information:
      The Registrar, Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, 2022.
    • Publication Date:
      2022
    • Collection:
      LCC:Philosophy. Psychology. Religion
    • Abstract:
      कुबुद्धि, कुविचार, दुर्गुण एवं दुष्कर्मों से विकृत मनोभूमि में यज्ञ से भारी सुधार होता है। इसलिए यज्ञ को पापनाशक कहा गया है। यज्ञीय प्रभाव से सुसंस्कृत हुई विवेकपूर्ण मनोभूमि का प्रतिफल जीवन के प्रत्येक क्षण को स्वर्गीय आनन्द से भर देता है। विधिवत् किये गये यज्ञ इतने प्रभावशाली होते हैं जिसके द्वारा मानसिक दोषों-दुर्गुणों का निष्कासन एवं सद्भावों का अभिवर्धन नितान्त सम्भव है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, ईर्ष्या, द्वेष, कायरता, कामुकता, आलस्य, आवेश संशय आदि मानसिक उद्वेगों की चिकित्सा के लिए यज्ञ एक विश्वस्त पद्धति है। यज्ञाग्नि के माध्यम से शक्तिशाली बने मंत्रोच्चार के ध्वनि, कम्पन सुदूर क्षेत्र में बिखरकर लोगों का मानसिक परिष्कार करते हैं, फलस्वरूप शरीर की तरह मानसिक स्वास्थ्य भी बढ़ता है। इसके साथ ही सम्पूर्ण यज्ञीय प्रक्रिया का अध्यात्मिक लाभ भी स्वतः प्राप्त होता है। इस प्रकार यज्ञ स्थूल, सूक्ष्म और कारण तीनों स्तर पर अत्यन्त लाभकारी और सार्थक प्रभाव डालता है। यज्ञीय सिद्धांतों एवं विज्ञान के आधार पर हम यज्ञ रूपी इस सर्व सुलभ तकनीक से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक लाभ तो प्राप्त कर ही सकते है, इसके अतिरिक्त अपनी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का प्रत्येक स्तर पर (शरीर रोग, मनोरोग आदि सभी) समुचित समाधान भी यज्ञोपैथी के माध्यम से प्राप्त कर सकते है।
    • File Description:
      electronic resource
    • ISSN:
      2581-4885
    • Relation:
      http://ijyr.dsvv.ac.in/index.php/ijyr/article/view/84; https://doaj.org/toc/2581-4885
    • Accession Number:
      10.36018/ijyr.v5i1.84
    • Accession Number:
      edsdoj.7368e3a327340cfbf4e90a256dcf8d9